Friday, 1 February 2019

बच्चो मे डर

                              बच्चो मे डर 


पूरी दुनिया में लड़के लड़कियां बहुत कुछ करना चाहते हैं पर उन्हें कौन सी चीज रोकती है सबसे बड़ा कारण है डर बचपन से ही हमारे दिल दिमाग में डर बसा होता है अगर हम 10 क्लास में पढ़ाई नहीं करेंगे तो फेल हो जाएंगे यह सोचकर बच्चे सारा दिन किताबे लिए बैठे रहते हैं पर दिमाग की एक रिपोर्ट होती है 4000 शब्द प्रति मिनट 400 मिनट पर सेकंड फिर भी माता-पिता अध्यापक के डर से बच्चे सारा दिन किताब लेकर पढ़ते रहते हैं आगे चलकर यह डर इतना हावी हो जाता है कि बच्चा दब्बू डरपोक हो जाता है समय निकल जाता है और जॉब के लिए परेशान होता है
यही डर आगे चलकर उसके रास्ते का सबसे बड़ा कारण बनता है जॉब के लिए जिस रास्ते में पर डालता है डर पीछे खींच लेता है हमारे अवचेतन मन में वह डर बैठ जाता है तो आप चाहे जितना सीख ले चाहे जितना जान ले चाहे जो करले किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ेगा बचपन में हम पर पढ़े डर का प्रभाव किस तरह हमारी भविष्य पर प्रभाव डालते हैं आपने देखा होगा एक ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का एक सारा दिन खेलता है एक सारा दिन पढ़ाई करता है पर खेलने वाले के नंबर ज्यादा आते हैं और सारा दिन किताब लेकर बैठने वाले के नंबर काम आते हैं सवाल केवल हमारे दिमाग की लिमिट का है खेलने वाले का दिमाग शार्प होता है वह जो कुछ भी पड़ता है
उसके दिमाग में रिकॉर्ड हो जाता है और मैं भूलता नहीं है और सारा दिन किताब लेकर बैठने वाली का दिमाग पहले ही डर फालतू बातों से भरा हुआ है ता उसका दिमाग कैसे काम करेगा कहने का तात्पर्य है की अभी तो स्कूली पढ़ाई के बात है अगर ऐसे ही चलता रहा तो आगे चलकर जॉब के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि दिमाग में फालतू भरा पड़ा है ता जॉब लगना मुश्किल है अपने दिमाग को फ्रेश रखिए जितनी उसकी लिमिट है उतना उसे भरिए फिर थोड़ा मनोरंजन करिए फिर पढ़ाई पढ़िए इस हिसाब से पढ़ेंगे तो आप निश्चित ही सफल होंगे

एक कदम तरक्की की ओर

एक कदम तरक्की की ओर

अब बात आती है पैसा कमाने की क्या आपको पता है गरीब गरीब क्यों है अमीर अमीर क्यों है बात केवल सोच की है गरीब मेहनत करना नहीं चाहता है केवल अपने भाग्य को कोसता रहता है और अमीरों से नफरत करता रहता है अमीर की सोच इससे विपरीत होती है 

वह रात दिन केवल मेहनत करता है गरीबी कैसे हटाए जाए यह सोचता है केवल सोच का अंतर है अमीर लोग कहते हैं बचपन से अपनी सोच जागरूक रखो आलस्य त्यागो बचपन से अपना शेड्यूल ऐसा बनाओ आपको अच्छा भुगतान के लिए अच्छा बनना पड़ेगा अगर आप धन कमाने के लिए पूरी तरह समर्पित नहीं है तो आप धन कमा ही नहीं सकते हैं जितने भी करोड़पति अरबपति हुए हैं यह सब एक दिन गरीब ही थे पर इन्होंने अपने आप को धन कमाने में समर्पित कर दिया कड़ी मेहनत से आज वह समाज के बारे में सोच रहे हैं

 आप आसान रास्ता चुनेंगे तो आपकी जिंदगी मुश्किल होगी और अगर आप मुश्किल रास्ता चुनेंगे तो आपकी जिंदगी आसान होगी केवल सोच का फर्क है गरीब लोगों के पास धन आ जाए तो बैंक में जमा कर देते हैं और बार बार गिनते हैं कितने लाख हो गए हैं इससे जिंदगी आराम से कट जाएगी अमीर लोग धन को बीज के रूप में देखते हैं इतने धन से कितना धन कमाया जाए कहने का तात्पर्य है की अपनी आमदनी को कभी सीमा ओ मैं ना बांधे अपनी सोच को बढ़ा रखें और सकारात्मक और सफल व्यक्ति के सानिध्य मैं रहना चाहिए जिससे हमारे अंदर नकारात्मक विचार प्रवेश ही ना करें बड़े बूढ़े कह रहे हैं 

जैसा खाओ अन्ना वैसा बनेगा मन इसी प्रकार जैसी हमारी संगत होगी हम वैसे ही बन जाएंगे नकारात्मक व्यक्ति के संग रहेंगे तो हमारी तरक्की का भी हो ही नहीं सकती अगर हम सफल और सकारात्मक व्यक्तित्व की संगत में रहेंगे तो हम उन्हीं के जैसा बनेंगे और अगर हम आरामदायक वातावरण पसंद करते हैं 

तो भी हमारी तरक्की मुश्किल है आरामदायक वातावरण से निकल कर धन कमाने में समर्पित हो मुश्किल रास्ता चुने सफलता पाने का एकमात्र उपाय है अपनी गतिविधि बनाना आप अपनी गतिविधि बढ़ा ए गे तो स्वाभाविक है आपकी ऊर्जा पड़ेगी और आप काम कर सकेंगे

Thursday, 24 January 2019

पति पत्नी में प्रेम

पति पत्नी में प्रेम

हमारे हिंदू धर्म में पति पत्नी का रिश्ता पवित्र रिश्ता माना गया है पत्नी को धर्मपत्नी कहा जाता है जो धर्म से जुड़ी हो वह धर्मपत्नी और जो धर्म से जुड़ा हो वह धर्म पति जिसे धर्म पति मिल जाए उसकी जिंदगी तर गई मानो विवाह होते सात फेरे होते हैं फेरों में सात वचन दिए जाते हैं यह सात वचन है 

पहला वचन है यदि कभी तीर्थ स्थान में आप जाएं मुझे भी साथ ले जाएं व्रत हवन पूजा पाठ हवन पूजा पाठ उपवास करें उस में मेरी भागीदारी हो तो मेरी स्वीकारता है दूसरा वचन है जिस तरह आप अपने माता पिता का सम्मान करते हैं उसी प्रकार मेरे माता-पिता का सम्मान करें और मेरे परिवार पास पड़ोस रिश्तेदार धर्म अनुसार उन्हें मानते रहे तीसरा वचन है

 यदि आप युवा प्रोण वृद्धावस्था मैं जीवन भर आप मेरा साथ देंगे मेरी स्वीकारता है चौथा वचन है यदि आप अपनी मेरी जिम्मेदारी निभाएंगे तो मेरी स्वीकारता है पांचवा वचन है किसी प्रकार के कार्य लेन-देन में आप मेरी सहमति लेंगे तो मेरी स्वीकार्यता है छटा वचन है आप मेरी सहेलियों स्त्री परिवार पड़ोस के सामने मेरी बेज्जती नहीं करेंगे शराब नशा से दूर रहेंगे तो मेरी स्वीकार्यता है सातवां वचन है पराई स्त्री तो आप मां समान समझोगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के बीच अन्य किसी को ना आने देंगे तो मेरी स्वीकार्यता है 

विवाह के समय पत्नी अपने पति से यह सात वचन लेती है और वाकई में यह रिश्ता चलता भी है भारत में कितना भी संकट आ जाए पति पत्नी का रिश्ता कभी पति पत्नी का रिश्ता कभी टूटता नहीं है पत्नी को गृह लक्ष्मी भी कहा जाता है नारी को ईश्वर ने सुंदरता भावुकता कोमलता और कलाकारीता इन सब से नारी परिपूर्ण होती है मात्र इन गुणों को खुरेदने की आवश्यकता है वह हम प्रेम द्वारा कर सकते हैं हर नारी में यह गुण होते हैं विदेशों में एक पत्नी से सीमित नहीं होते जरा सा कष्ट आने पर वह उसे अपने लायक नहीं समझते और दूसरा विवाह फिर तीसरा विवाह बिना विवाह के बने रहते हैं बूढ़े हो जाते हैं फिर भी यही दशा बनी रहती है जिसे जो जिसके साथ सुविधा देखता है 

उसी के साथ रहने लगता है बहुत ही कम देखने को मिलता है जो एक पत्नी के साथ रह रहा हो भावनात्मक रूप में 4 कर्तव्य आते हैं समझदारी ईमानदारी बहादुरी जिम्मेदारी अगर हर पति पत्नी मैं यह सभी भावनात्मक गुण आ जाए तो हर पति पत्नी अपनी पूरी जिंदगी आराम से व्यतीत कर सकता है पति पत्नी की सगन आत्मीयता ही उसे सफल बनाती है पति पत्नी को हमेशा अपने लिए कठोर और साथी के लिए उधार रह करही इनके बीच अटूट प्रेम रहता है

 अगर पति पत्नी अपने स्वार्थ की ना सोच कर अपने साथी के लिए सोचे तो यह रिश्ता कभी टूट ही नहीं सकता की पत्नी गाड़ी के दो पहियों के समान होते हैं एक पहिया डगमगाया मानो पूरी गाड़ी पलट गई जब दोनों पहले सामान सीधे चलते हैं तभी गाड़ी सुचारू रूप से चलती है जो पति पत्नी एक दूसरे के कष्टों में भी साथ ना छोड़े वही महान होते हैं इसी से इनकी इमानदारी का पता चलता है अगर दोनों में से एक भी ज्यादा प्रेम करता है तो जिंदगी चलती रहती है एक ज्यादा प्रेम करें और दूसरा धार्मिक प्रवृत्ति का हो तो जिंदगी आराम से चलती है

Wednesday, 23 January 2019

ओजस्वी शक्ति

ओजस्वी शक्ति
मनुष्य के जीवन रूपी नाव से पार लगाने वाला एक ही नाम है गायत्री गय कहते हैं प्राण को कहते हैं प्राण त्राण यानी रक्षा करने वाली जो प्राण की रक्षा करें उस महा शक्ति का नाम गायत्री है गा सब स्वयं में भी शक्ति का बोधक है जो पूरे ब्रह्मांड का बोध शब्द पूरी सत्रा को नियंत्रित करने वाला है

उसे यत्री कहना चाहिए गायत्री का अर्थ सर्वव्यापी परा और अपरा प्रकृति पर नियंत्रित करने वाली आत्म चेतना गा से गति देने वाली या  से शक्ति दायक त्र से त्राण करने वाली ई स्वयं परम तत्व का बोधक है गायत्री सूर्य के सामने प्रकाश करने वाली होने से जगत को उत्पन्न करने वाली होने से सावित्री के नाम से कही जाती है और यही वाणी में रूप में होने से स्वरस्वती कही जाती है
गायत्री के द्वारा हम उस ब्रह्म चेतना प्राणशक्ति से ही अपना संपर्क बनाते हैं वैज्ञानिकों का भी कहना है कि इस पृथ्वी पर जो भी जीव जंतु पशु पक्षी मानव है यह सूर्य की सूक्ष्म करण शीलता के ही कारण है गायत्री का देवता सविता है सविता का मतलब रोशनी गर्मी देने वाले अग्नि पेंट के रूप

में होते हैं उसकी सूक्ष्म प्राण शक्ति से ओत पोत है
गायत्री की उपासना करने वाले को किसी का भी नहीं रहता है भयानक संकट आने पर बाहर निकालने वाली एक ही है गायत्री दूसरा कोई भी नहीं गायत्री का जप करने वाला कभी दुखी नहीं हो सकता वह स्वयं सक्षम हो दूसरों की भी मदद करता है वह एक राष्ट्र पुरुष बन जाता है समाज में उसकी रोशनी चारों तरफ चलती है स्वयं ज्ञानरूपी रोशनी से ओत पोत हो जाता है

 राजा जनक गायत्री की उपासना से पूर्णता को प्राप्त कर सके के पूर्व जन्म के पुरोहित बेडिल मरने के बाद पशु योनि में चला गया राजा जनक ने अपने पुरोहित से पूछा आप पशु योनि में क्यों चले गए पूर्व जन्म में गायत्री का मुख नहीं समझ पाया इसलिए मेरे पाप नष्ट नहीं हो पाए गायत्री का प्रधान अंग मुख अग्नि है जिस में जो कोई तारा जाता है सब बस में हो जाता है उसी तरह गायत्री कामुक जाने वाला आदमी विमुख होकर पापों से मुक्त हो जाता है और अमर हो जाता है मुख का तात्पर्य ज्ञान से है जो ज्ञानी हो जाता है वह मुक्त हो जाता है

जो आदिशक्ति गायत्री की जीवन रूपी नाव में बैठकर संसार का आनंद लेकर पार उतर जाता है मेरे गुरु श्री राम शर्मा ने अपनी पुस्तक में भविष्य का भी उल्लेख किया है पुस्तक पढ़ कर जो ज्ञान की रोशनी बढ़ती है मै वह मैंने आपके सामने शेयर की है

Monday, 21 January 2019

स्वस्थ कैसे रहें

स्वस्थ कैसे रहें
 स्वस्थ रहने का मतलब क्या होता है? हम स्वस्थ आखिर रहेंगे क्यों? क्यों हमारे धर्म मैं सबसे पहले स्वस्थ रहने की बात की गई है?

आइए सारे सवालों का जवाब जानते हैं और मैं 100% जानता हूं कि इस लेखन को पढ़ने के बाद यदि आपने स्कोर अपने घरेलू जीवन में स्थापित कर लिया तो आपको कभी भी स्वास्थ्य के प्रति चिंता नहीं करनी पड़ेगी और आप निरोगी बन जाओगे

सबसे पहले शुरुआत करते हैं की आखिर स्वस्थ रहने का मतलब क्या होता है स्वस्थ रहने का मतलब आपका शरीर निरोगी है सुंदर है स्वच्छ है एवं अधिक श्रम करने में निपुण है

अगर आपको अपने जीवन का मकसद प्राप्त हो गया है तो आप का सबसे पहला कदम  स्वस्थ रहने में पढ़ना चाहिए क्योंकि बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अधिक श्रम करना पड़ता है और यदि आप की मशीन अथवा शरीर कमजोर है या रोगों से रहित है तो आप कभी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते हमारे धर्मों के अनुसार हमारा शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम होता है 

बस वहां कार प्रगति थोड़ी धीरे होती है परंतु पीड़ा ना सहन कर पाने पर हम दवाओं का मार्ग अपनाते हैं और यहां एक गलत कदम होता है दवाई किसी पर रहम नहीं करती वे रोग को तो खत्म कर देती हैं अथवा हमारे सुरक्षा बल को भी नष्ट कर देती हैं और जब सुरक्षा बल खत्म हो जाता है तो नया आने से पहले दूसरा रोग उत्पन्न हो जाता है और यहां प्रक्रिया चलती रहती है और हम जीवन भर के लिए रोग रहित हो जाते हैं

 तथापि हमें अपने शरीर को ही अपना काम करने देना चाहिए आज हम बहुत सारें असत्य मैं जी रहे हैं जैसे भोजन पेट भरकर करना चाहिए सुबह शाम करना चाहिए परंतु यह सही नहीं हमें खाने में पका हुआ भोजन नहीं लेना चाहिए क्योंकि उसके कई सारे तत्व पकाने में निकल जाते हैं

 तथापि अंकुरित भोजन या कच्चा भोजन लेना चाहिए और एक ही बार भोजन करना चाहिए तथा पूरे दिन फल और पानी का सेवन करना चाहिए स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए हफ्ते में 2 दिन उपवास रहना चाहिए और रोज योगा और व्यायाम करना चाहिए क्या करने से आप स्वस्थ निरोगी जवान लंबी उम्र जीने वाले और सुंदर बने रहेंगे

Sunday, 20 January 2019

अपने ही बच्चों के दुश्मन

                       अपने ही बच्चों के दुश्मन

बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्रेम करते हैं उसे कोई कार्य नहीं करवाते हैं जो मांगते हैं तुरंत देते हैं  खाने पीने की चीजों से लेकर घूमने फिरने तक हर चीज की आजादी देते हैं बच्चों के हाथ में बिना मांगे पैसा बढ़ा देते हैं 

कभी पूछते नहीं है कि तुमने कहां खर्च किए हैं इतना फ्रैंक बना देते हैं कि दूसरों का सम्मान करना भूल जाते हैं माता-पिता अपने बच्चों  के दुश्मन की होते हैं वह  ऐसा करके अपने बच्चों की पैर पर कुल्हाड़ी ही मारते हैं कहने का तात्पर्य है कि वह अपने बच्चों को बिगाड़ देते हैं अपने बच्चों को बदतमीज ही बनाते हैं

 बड़े होकर यह बच्चे सब का आदर करना भूल जाते हैं और माता-पिता की जिंदगी भर की कमाई पूंजी पर ऐश करते हैं और उसे बर्बाद कर देते हैं एक शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म आई थी औलाद के दुश्मन उसमें शत्रुघन सिन्हा किस तरह प्रेम करके अपने बच्चों का भविष्य बिगाड़ देता है चाहे वह लड़की हो या लड़का हो इतना प्रेम मत करो कि वह बिगड़ जाए जो माता-पिता अपनी लड़कियों को बहुत प्रेम करते हैं

 उन्हें कोई घर का कार्य नहीं करने देते हैं घूमने फिरने में आजादी देते हैं लड़कों की तरह उनसे व्यवहार करते हैं वह यह भूल जाते हैं कि वह अपनी बेटी को जिंदगी भर अपने पास नहीं रख सकते राजा जनक को भी अपनी बेटियों को विदा करना पड़ा था उन्हें एक दिन अपनी बेटी को विदा करना ही पड़ेगा इस तरह की लड़कियां घर काम नहीं किया वह

स्वयं की मां की तबीयत खराब होने पर कार्य नहीं करेंगी तो वह दूसरों की मा का  क्या ध्यान रखेंगी जो माता-पिता अपने बच्चों को इतनी छूटदे देते हैं कि उनसे पूछते तक नहीं है कि वह कहां जा रहे हैं बच्चे आजाद हो जाते हैं क्लब में घूमना पार्टी में जाना रात रात भर नशे में पड़े रहना यह सब उनके लिए आम बात हो जाती है आजकल सभ्य समाज में यह सब देखना आम बात हो गई है हम सब भूल गए हैं की संस्कारों में प्ले बच्चे ही महान बनते हैं

 उन्हें संस्कार देकर ही पा
लो नहीं तो उन्हें राक्षस बनने में समय नहीं लगेगा उन्हें इतना भी प्रेम मत करो की वे बिगड़ जाएं समय रहते अगर हमने अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दिया तो वह अपना जीवन बर्बाद कर लेंगे आप ही को दोष देंगे इसलिए आप अपने बच्चों को संस्कार से ही पाले संस्कार में पले बच्चे ही अपने माता पिता का नाम रोशन करते हैं समाज को उज्जवल बनाते हैं और संस्कारों से बनी लड़किया अपने घर को स्वर्ग बनाती हैं और समाज में उनके बच्चे अपना एक अलग ही स्थान बनाते हैं संस्कारों से निमित्त बच्चे समाज पूरे राष्ट्र में अपना वर्चस्व फैलाते हैं

कर्मों का फल

कर्मों का फल

मेरे घर के सामने एक बूढ़े बाबा रहते थे उन्होंने कभी विवाह नहीं किया था इसलिए उनका परिवार आगे ना बढ़ सका वह अकेले ही अपना जीवन यापन करते थे 

उनकी एक छोटी सी पान की दुकान थी उनका खर्चा उसी से चलता था मेरे पिताजी बहुत व्यवहारी और दयावान व्यक्ति है बाबाजी का अकेलापन उनसे देखा नहीं जाता था इसलिए बाबा जी के पास जाकर बैठ जाते उनका मनोरंजन करते थे उस जमाने में सभी कुएं से पानी भरा करते थे हमारे घर में भी कुएं से पानी भरा जाता था हम अपने घर का पानी भरते थे

 फिर पिता जी के कहने पर बाबाजी का भी कुएं से पानी भरा करते थे मेरे पिता जी बाबा जी की बहुत सेवा किया करते थे जब आप बीमार हो जाए तब हमारे घर से बाबा जी के के लिए खाना जाता था मेरे पिताजी बाबा जी के पैर दबाते थे उन्हें दवा दिलाने उनकी सेवा करना यह सब मेरे पिताजी ही किया करते थे हमारे घर के आस-पास के लोग बाबा जी को देखते भी नहीं थे उस समय मेरे पिताजी के ऊपर परिवार का बहुत भार था मेरे पिताजी के पिताजी का देहांत होने के बाद पूरा भार मेरे पिताजी के ऊपर आ गया दो छोटे भाई तो छोटी बहनों का विवाह उनको पढ़ाना लिखाना मेरे पिताजी की जिम्मेदारी थी

 वह जिम्मेदारी मेरे पिताजी ने निभाई भी अपने दोनों भाइयों का जॉब लगवाई दोनों बहनों का विवाह करवाया फिर उनके बच्चों का जन्मदिन संस्कार बहुत धूमधाम से किया करते थे जब उनके भाइयों अपना परिवार हो गया तब उन्होंने मेरे पिताजी से अलग होने की बात कही उस समय मेरे पिताजी ने अपनी जीवन की सारी पूंजी उन्हीं में लगा दी थी मेरे पिताजी ने कर्जा लेकर अपनी बहनों का विवाह किया था उस जमाने में 32000 का कर्जा था जो मेरे चाचा जी ने देने से मना कर दिया

 यहां तक कि घर से भी निकाल दिया हम सब सड़क पर आ गए एक किराए के घर में हमारा गुजारा चलता था फिर भी मेरे पिताजी अपने स्वभाव में परिवर्तन ना ला सके और बाबा जी की निस्वार्थ सेवा किया करते थे 1 दिन बाबा जी की तबीयत खराब हुई और उन्होंने मुझे बुलाया और मेरी झोली में ₹32000 डाल दिए और कहा अपने पिताजी को दे देना वह झोली भर कर मैं अपने घर आई और पिताजी को दिखाया तो उस झोली में ₹32000 निकले जैसे मेरे पिताजी ने अपना कर्जा पटाया कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे द्वारा किए अच्छे कर्म ईश्वर की नजर में होते हैं 

वह यहां सब देख रहे होते हैं हमें सदा अच्छे कर्म करना चाहिए फल देना ईश्वर का कार्य है जो निस्वार्थ भाव से सेवा परोपकार करता है ईश्वर भी रक्षा करते हैं हमें सदा यह समझना चाहिए हमारे अच्छे बुरे दोनों कर्म परमेश्वर देख रहा है वह दोनों कर्मों का फल देगा अच्छे कर्मों का और बुरे कर्मों का हम अगर एक अच्छा कर्म करते हैं और 10 गुना फल देता है इसलिए हमें सदा अपने कर्म अच्छे रखना चाहिए

व्यवहार में परिवर्तन

व्यवहार में परिवर्तन

जीवन में आगे बढ़ते हुए हमें सदा अपने रिश्तेदारों पास पड़ोस घर परिवार में उनके दोष ना ढूंढे हमें सदा अपने अंदर ही दोष देखने चाहिए हम दूसरों को दोष दिखा दी अापने आप को कष्ट देते हैं प्रेमी हमेशा दिल में बैठता है और दुश्मन हमेशा मस्तिष्क सर पर बैठता है दूसरों के दोष निकालने से हमारा घाटा ही होता है 

अगर हम अपने स्वभाव में दूसरों के गुण गिनाने की आदत डालें तो बदले में हमें वही मिलेगा जो व्यक्ति दूसरों के दोष निकालने में लगा देता है अपनी जवानी के दिनों में समाज में किसी से भी लड़ने लगता है वही आदत उसकी परिवार मैं भी पड़ी रहती है वह अपनी पत्नी को लात घुसा मारता रहता है फिर वह बच्चे हो जाते हैं तो बच्चों पर भी लात घुसा बरसाता रहता है 


फिर जब बूढ़ा हो जाता है तो अपने आप से लड़ता रहता है दीवाल में अपना सिर फोड़ता है मैं अपने परिवार व समाज से दूर हो जाता है अंत में आत्महत्या ही करता है अच्छे विचार वाला मनुष्य चारों और अच्छे विचार ही फैलाता है बुरा मनुष्य बुराई का कीचड़ ही उछलता है संसार में ईश्वर ने मनुष्य को कोई ना कोई कमीदी है 

संसार में कोई पुण्य नहीं है कोई मानव अपूर्णता मैं भी खुश रहता है दूसरों का सहयोग करता है सदा अच्छे विचार रखता है और वही मानसिक रूप से ग्रस्त मानव यह समझता है कि दुनिया के सारे दुख भगवान ने उसी को दे दिए ईश्वर को गाली देता है दुखी रहता है सारे दोष दूसरों पर थो पता है अपने माता पिता को दोषी मानता है अगर हमें पढ़ाया होता तो मैं आज अधिकारी होता पत्नी को दोष देता अगर मेरा सहयोग किया होता तो मैं आज अधिकारी होता इस प्रकार है जीवन जीवन भर दूसरों पर दोष देता रहता कोई व्यक्ति जरा सा कष्ट आने पर डगमगा जाता है 

वहीं दूसरी और उसी के बराबर कष्ट वाला व्यक्ति जिंदगी सामान्य रूप से जीता है बड़े से बड़ा कष्ट पर भी किसी के सामने का नहीं रोता है सबके सामने मुस्कुराता रहता है हमें यह समझना चाहिए कि माता पिता ने हमें जन्म दिया पाला पोसा माता-पिता अपने बच्चों का आहेत कभी नहीं चाहते हमें जो कुछ भी मिला ईश्वर की इच्छा से मिला हमें उसमें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए अकेली ईट से है दीवार नहीं खड़ी होती सीमेंट बालू भी चाहिए अगर हम अपने भीतर स्वयं को झांक कर देखें तू सारी दुनिया सुंदर दिखाई देगी अपनी भूल को मान लेने से हमारा कोई घाटा नहीं है अपना मन साफ हो जाता है और हम भविष्य में अपने आप को और जागरूक बना लेते हैं
हीन मनोवृति वाले परिवार के बच्चे भी वैसे ही हो जाते हैं बचपन से वहां हिंसक वातावरण में पले बच्चे या तो दब्बू डरपोक या हिंसक हो जाते है

 बच्चों का मन बहुत कोमल होता है हमारे द्वारा किए गए बुरा व्यवहार उनके कोमल मन को बहुत प्रभावित करता है बच्चों के साथ किया गया गुस्सैल व्यवहार सुधार ता नहीं बल्कि उन्हें और बिगाड़ देता है हमें अपने बच्चों के साथ विनम्र व्यवहार करना चाहिए उनके साथ एक मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए हमारे बच्चे अपनी बात हमसे कर पाएंगे नहीं तो दूरियां बहुत बढ़ जाएंगी कभी भी आप उसे भर नहीं पाओगे बच्चे जब छोटे होते हैं तुम अब आप सोचते हैं डांट पीट कर हर बात समझा लेंगे जब बच्चा बड़ा हो जाता है यह बात उसके दिमाग में घर कर जाती है फिर वहां कभी भूल नहीं पाता है और मां-बाप के प्रति उसकी दूरियां बढ़ जाती है इसलिए हर मां-बाप को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने बच्चों के साथ विनमृता का व्यवहार करें

दो लडकियां

दो लडकियां

दो बच्चियां होती है एक गरीब घर की थी संस्कारों परिवार के बीच पली दयावान कोमल एकांक बुद्धि 6 वर्ष की कन्या थी दूसरी अमीर घर की कोमल अपने माता पिता के बीच पली हुई कन्या थी 

वह भी 6 वर्ष की थी कोमल प्यारी सी दोनों बच्चियों में बहुत दोस्ती थी स्कूल जाते ही दोनों साथ साथ बैठती साथ खाते पीती थी साथ पढ़ती साथ खेलकूद करना एक दूसरे के बिना कभी नहीं रह पाती थी 

1 दिन की बात है वहां अमीर घर की लड़की रोज स्कूल में डांट खाती थी स्कूल का होमवर्क का भी करके नहीं लाती थी हमेशा उदासी रहने लगी वह लड़की एक दिन गरीब घर की लड़की ने अपनी दोस्त से पूछा क्या बात है तुम होमवर्क क्यों नहीं करती हो क्यों डांट खाती हो तू अमीर घर की लड़की ने कहा मेरे मम्मी पापा मुझे काफी नहीं दिलाते हैं 


मैं कैसे होमवर्क करूं मैं रोज काफी मांगती हूं फिर भी नहीं दिलाते तो उस गरीब घर की कोमल लड़की बोली तुम्हारे पास किस बात की कमी है जो तुम्हारे माता-पिता काफी नहीं चलाते हैं फिर वहां गरीब घर की लड़की चुप रह गई फिर दूसरे दिन बाद गरीब घर की लड़की एक नई काफी अपने घर से लाई और विद्यालय में अपनी दोस्त को दे दी और बोलिए अब तुम्हें कभी डांट नहीं खानी पड़ेगी इस तरह वह दोनों साथ पढ़ती है 

कहने का तात्पर्य है संस्कार और दया का भाव जन्म से ही होता है इसकी अमीरी गरीबी से कोई लेना देना नहीं है संस्कार से गरीब आदमी की महान बन जाता है कई गरीबी की आड़ लेकर भीख मांगते रहते हैं दूसरों के सामने रोना रोते रहते हैं कि मेरे पास कुछ नहीं है

 हमेशा कर्म करते रहना चाहिए ईश्वर ने तुम्हारे लिए सोच रखा है कर्म करना तुम्हारा कार्य है देना ईश्वर का जो स्वाभिमानी संस्कारी दयावान बचपन से होते हैं वह बड़े होकर  कोई महान कार्य करते हैं उन्हें ईश्वर ने किसी महान उद्देश के चुना होता है उन्हें अपनी गरिमा पहचान कर अपना उद्देश पूरा करना चाहिए इस देश में खा पीकर मौज बनाने वालों की कोई कमी नहीं आलसी लोगों की उम्र कम होती है सदाचारी कर्तव्य निष्ठ संस्कारी स्वाभिमानी जागरूक होते हैं वह लंबी उम्र तक जीते हैं और समाज में अपनी खुशबू फैलाते हैं

Saturday, 19 January 2019

मेरे मामा जी

मेरे मामा जी



मेरे मामा जी बहुत सात्विक विचार के थे उन्होंने कभी किसी का बुरा नहीं किया हमेशा सबकी सहायता किया करते थे हम जब अपने मामा जी के घर जाया करते थे तो मामा जी हमें बहुत स्नेह किया करते थे

 1 दिन की बात है रात के 2:00 बजे थे अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया एक ही आवाज में मेरे मामा जी बोले कौन है मेरे मामा जी 4:00 बजे सुबह टहलने जाया करते थे 

मेरे मामा जी उठे और दरवाजा खोला वहां एक भूत था वह मेरे मामा जी के मित्र का वेश बना कर आया और बोला टहलने नहीं चलोगे मेरे मामा जी बोले अभी तो रात के 2:00 बजे हैं तो उसने बोला तुम्हारी घड़ी खराब है मेरी घड़ी में 4:00 बजे है इस तरह मेरे मामा जी उसके साथ टहलने चले गए वह मेरे मामाजी को जंगल की तरफ ले जा रहा था रुकने का नाम ही ना ले मेरे मामा जी समझ गए यह कोई और है चारों तरफ सन्नाटा था टहलने वाले एक भी दिखाई नहीं दे रहे थे 

मामा जी के रोकने पर भी उन्हें आगे बढ़ा ले जा रहा था मेरे मामा जी तुरंत समझ गए यहां कोई भूत है मेरे मामा जी ने गुप्तेश्वर महाराज शंकर भगवान को याद किया गुप्तेश्वर महाराज एक बूढ़े आदमी के रूप में लाठी लेकर आए और उस भूत को लाठी से मारने लगे और कहा मेरे भक्त को कहां ले जा रहा है लाठी से मार मार कर उसे भगा दिया फिर कहां बेटा अभी तो 2:00 बजे हैं अभी तुम कहां जा रहे हो चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आओ घर तक छोड़ कर गुप्तेश्वर महाराज गायब हो गए मेरे मामा जी समझ गए कि यह गुप्तेश्वर महाराज ही थे

 जो मुझे मेरे घर छोड़ने आए थे मुझ गरीब की मदद की दोस्तों ऐसे है हमारे गुप्तेश्वर महाराज जो जब भी याद करें तुरंत रक्षा करने आते हैं जो भी सच्चे दिल से ईश्वर को याद करता है भगवान किसी ना किसी रूप में रक्षा करते हैं हमें मार्गदर्शन देते हैं

Thursday, 17 January 2019

नशा और परिवार


नशा और परिवार



it's not too late it's starting of new ear of 
your life WAKE UP!! many of them are laughing on you it's time to show them who you are proof them wrong

गुटका तंबाकू बीड़ी सिगरेट शराब यह सब हमारे देश के लिए एक अभिशाप है बहुत भयंकर बीमारी है हम यह देखते हैं कि एक मजदूर सारा दिन मेहनत करके पैसे कमाता है और मेहनत करते समय गुटखा तंबाकू बीड़ी पीता रहता है अपनी दिनभर की आधी मजदूरी इसी में बर्बाद कर देता है बची कुची मजदूरी शाम को शराब पीकर समाप्त कर देता है जब वह अपने घर जाता है तो घर की बीवी खाना बनाने के लिए कुछ पैसे मांगती है तो शराब के नशे में धुत बीवी बच्चों को मारता पीटता है। खाने को पैसे नहीं तन पर ढकने को कपड़े नहीं फिर भी गुटका तंबाकू बीड़ी शराब पीना है कुरान के पारा साथ सूरत माया दारू का एक मैं लिखा है इमान वालों शराब तथा दूसरी नशीली चीजें हराम है शैतानी चीजों बचे रहो।
 
अगर हम ₹ 10 रोज से महीने में ₹300 और 1 वर्ष में 3650 रुपए हुए कोई 20 वर्ष का व्यक्ति यदि बीड़ी सिगरेट पीना छोड़ कर ₹10 बैंक में जमा करने लगे तो उसे 60 साल की उम्र ₹400000 मिल जाएंगे कितने रुपए में वह अपनी जिंदगी आराम से काट सकता है मकान भी बनवा सकता है

नेपोलियन बोनापार्ट अपने सैनिकों से कहा करता था दुश्मन की अपेक्षा शराब से अधिक सावधान रहो सिर्फ संयम ही सेना की विजय हो सकती है वैज्ञानिकों ने चूहों को सिगरेट के धुए के पास रख कर देखा उन चूहों की प्रजनन शक्ति शुरू हो गई उनकी माताओं में बांझपन पैदा हुआ गर्भपात और फेफड़े कमजोर हो गए कई तो अंधे होकर थोड़े ही दिनों में मर गए सोचो भाइयों अगर चूहों की ऐसी दुर्दशा हुई तो हम इंसान पर इसका क्या प्रभाव पड़ता होगा तमाकू में निकोटिन कोलतार  कार्बन मोनोऑक्साइड अथवा कोयले की गैस पाई जाती है
समुद्र मंथन से हुआ था उसमें
से विष निकला था तो भगवान शंकर जी ने सब को बचाने के लिए वह विश स्वयं पी लिया था हमारे समाज की विडंबना देखें शिवरात्रि पर भगवान शंकर का प्रसाद कहकर सभी भांग पीते हैं कहते हैं भगवान का प्रसाद है पीढ़ी के लड़के शिवरात्रि पर मोटरसाइकिल पर 4 - 4 तेज रफ्तार में घूमते हैं इतना भयानक रूप देखकर मन घबराता है।
महिलाएं भी गुटखा बीड़ी शराब पीते हैं इन दोनों की तो दुर्दशा है महिलाओं में यह आदत बहुत हानिकारक उनके बच्चे अपंग पैदा होते हैं नशा करना शारीरिक मानसिक आर्थिक हर दृष्टि से नुकसानदायक है।
        नशा करने वालों उन पर दया आती है कि वह पुरानी खांसी दमा घुटना छाती की बीमारियां तथा फेफड़ों की टेंशन मनुष्य के रक्त को भी दूषित कर देता है बीमारियों को न्योता देता है जो महिलाएं आती है और अपने बच्चों को दूध पिलाती है वह बच्चे उनके दुष्प्रभाव नहीं पाते नशा करने से आंखों की रोशनी कमजोर पड़ती है व्यक्ति अंधा भी हो जाता है व्यक्ति किसी के कहने से नशा नहीं छोड़ता वह तो स्वयं में द्रण संकल्प कर ले कि मैं कभी नशा नहीं करूंगा तब ही छोड़ सकता ह।

Wednesday, 16 January 2019

नई दुल्हन

नई दुल्हन
 एक सूसंस्कारी घर की लड़की थी वह अपने पूरे परिवार बड़े चाचा चाची छोटे चाचा चाची दादी दादा माता पिता अपने बहन भाइयों कजिन बहन भाइयों के साथ खेल कूद कर बड़ी हुई उसके पिता बहुत हवन पूजा पाठ करते थे वह बचपन से यह देखती रहती थी वहीं संस्कार उसके अंदर आ गए वह अपनी पढ़ाई लिखाई के साथ मां गायत्री की पूजा अर्चना करने लगी उसका विवाह होने वाला था तो पंडित जी ने कहा आपकी बेटी के ऊपर पीला दान लगा है (हिंदू धर्म में लड़का लड़की की कुंडली दिखाई जाती है फिर पंडित जी उसे बताते हैं कि यह शुभ है या अशुभ दान दो प्रकार के होते हैं एक लाल दाने एक पीला दान लाल दान की शादी कभी नहीं होती है पीले दान में पूजा पाठ द्वारा अशुभ फल खत्म हो जाता है )उसके पिता के एक गायत्री परिवार के मित्र थे उनसे कहने लगे आप 32000 माला का जाप कीजिए कलश स्थापना करिए हवन करिए किसी पंडित से करवाएंगे तो वह करता या नहीं करता आप से रुपए ठग लेगा रात दिन अपनी सेवा कराएगा उस लड़की का विवाह नजदीक आ गया था उसके पिता को विवाह की तैयारी भी करनी थी उनके पास इतना टाइम नहीं था

 कि वह स्वयं जाप कर सके उस लड़की ने अपनी परिस्थितियां देखकर कहां पिताजी आप परेशान मत हो 32000 का जाप में पूरा करूंगी यह बात सुनकर उसके पिता को बहुत तसल्ली हुई लड़की ने जो जाप करना शुरू किया घर रिश्तेदारों से भरा था चारों तरफ विवाह का वातावरण था वह लड़की पूजा के कमरे में अपना जाप करती रहती थी यह देखकर उसके पिता बहुत खुश होते थे फिर उसकी उपासना पूरी हुई हवन किया गया कन्याओं को भोजन करवाया गया उसी दिन उसकी हल्दी थी विवाह कार्य पूर्ण 

हुआ विदाई का समय आया बराती इतने आए थे कि पूरी बस लद गई जिस कार मैं लड़की की विदाई होनी थी वह भी पूरी लद गई सास लेने को जगह नहीं बची उसी में दुल्हन को विठाला गया दुल्हन बैठती पाई थी कि दूल्हे पक्ष का चाचा का लड़का दुल्हन के बगल में आकर बैठ गया किसी तरह कार आगे बढ़ी कुछ दूर जाने पर चाय पानी का स्टॉल आया सभी उतारकर चाय पानी पीने लगे किसी ने दुल्हन से नहीं पूछा आप पानी पिएंगे या नहीं थोड़ी देर बाद आराम करने के बाद सब कार मैं भर गए दुल्हन की ससुराल आ चुकी थी उतर कर सब भाग गए खाली दुल्हन बैठी रही गर्मी का वातावरण था चारों तरफ गर्म हवा चल रही थी बहुत देर बाद दुल्हन की एक जेठानी शरबत लेकर आई दुल्हन से नेग मांगा गया तब शरबत पिलाया गया यह पैसे देना एक नेग होता है फिर दुल्हन को उतारकर कितनी जोर से पकड़ कर उसे बहुत दूर एक आंगन में धरती पर चटाई बिछाकर बिठा दिया गया सामने बड़े बूढ़े बैठे थे सारा दिन उस दुल्हन को वहां विठाला गया चाय पानी भी नहीं पूछा फिर शाम को दुल्हन की ननंद लेने आई एक कमरे में ले गए वह कमरा रिश्तेदारों से भरा था उसी में उसे दूध चावल खाने को दिए गए एक लड़की जब ससुराल जाती है मैं तो वहां के रीति-रिवाजों का कोई पता नहीं होता ससुराल वालों को चाहिए की प्रेम से सारी रीति रिवाज समझाएं इस लड़की के साथ तो अलग ही कहानी थी चार जेठानी  के बीच में एक अलग सी सुंदर पढ़ी लिखी लड़की का मानो मजाक ही बना दिया बाहर आंगन में सास ससुर जेठ जेठानी बैठे थे

वहां बहुत अंधेरा था गांव में लाइट बहुत जाती थी उस लड़की को भी बुलाया गया यहां आकर बैठो कि आई और चारपाई पर बैठने ही वाली थी कि उसकी जेठानी सास ससुर के सामने जेठ के ऊपर बैठ बैठ जाएं और खूब उस लड़की की हंसी उड़ाई मानो कोई जोकर को देखकर बच्चे ताली बजा बजाकर हंसते हैं माहौल से अनजान लड़की समझ ही नहीं पाई कि यह क्यों हंस रही है बाद में उसे पता चला तो वह नीचे जमीन पर बैठ गई उसकी सभी जेठानी या उसकी कमी को देखकर हंसती रहती थी कभी ये बताया भी नहीं कि क्यों हंस रही है सास ससुर के भी हमेशा बड़ी जेठानी या कान भर्ती रहती थी की पूजा पाठ पर भी हंसती रहती थी कि लड़की अपने पूजा पाठ नियम पर अटल थी बहुत सी परिस्थितियां पर वह नियम घर धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ती रही ईश्वर ने भी उसकी सहनशीलता कर्तव्यनिष्ठा का फल दिया उसके पास अब सब कुछ है⬋

Tuesday, 15 January 2019

नारी खुद को पहचाने

नारी खुद को पहचाने
नारी कोमल है कमजोर नहीं भारत की नारी छोटी कन्या का हम लोग कन्या पूजन करते हैं देवी के रूप में उस पूज्यते है पहले गुरु महात्माओं से लेकर आज भी हम में कन्या पूजन का विशेष महत्व है माँ बहन के रूप में नारी को महत्वपूर्ण माना जाता है उनका आदर किया जाता है कमजोर परिस्थितियों में नारी ही अपने परिवार को संभालती है वह देखने में इतनी कोमल होती है पर समस्या आने पर चट्टान की तरह अपने परिवार को संभालती हैं अपने बच्चों को पालती है अच्छे संस्कार देती है हर मुश्किल से बचाती है पत्नी के रूप में अपने पति को दुख में साथ देती है उनकी हर अच्छी बुरी चीज का ध्यान देती है जरूरत को पूरा करती है अपना सब कुछ लुटा देती है जब पति बाहर रहता है घर का कार्य भी करती है तो पति की याद में करती रहती है कि अभी वहां घर आते होंगे इस तरह अपने जीवन के कई वर्ष मिटा देती है कई वर्ष लुटा देने के बाद एक समय ऐसा आता है कि नारी पर प्रश्न उठता है
कि तुमने हमारे लिए किया क्या है यह सब नारी की आत्मा को तोड़ देती है वह सोचती है कि मेरा कोई महत्व नहीं है वाइफ के रूप में नारी घर का सारा कार्य करती है पति भी जब दफ्तर जाता है हरी जरूरत को पूरा करती है पति घर से दफ्तर जाता है तो उसे घर पर क्या हो चिंता नहीं होती क्योंकि उसे पता है पत्नी घर अच्छे से संभाल रही है वह बिना टेंशन के ऑफिस जाता है बच्चों को भी तैयार करके स्कूल भेजना स्कूल से आने पर उनका खाने पीने की चीजों से लेकर पढ़ाई लिखाई का सारा कार्य एक हाउसवाइफ इस देती है वह अपना सब कुछ परिवार पर लुटा देती है पर पति बाहर पैसा कमाता है वहां अपने कार को ही सर्वोपरि मानता है पत्नी के कार की निंदा करता है हद तो जब हो जाती है कि कोई करने वाली महिला तारीफ अपने पत्नी से करता है और उसे यह महसूस कराता है कि तुम कुछ नहीं हो चलो अब तो जमाना बदल गया है
यह तो पहले की बात है अब तो हर मां-बाप अपनी यू को पढ़ा लिखा कर जॉब आ रहा है उन्होंने देखा है कि उनकी मां के साथ कैसा अपमान हुआ था वाली महिलाएं चाहे वह हाउसवाइफ हो या जॉब करने वाली हो नारी को व संस्कार दिए जाते हैं नारी कोमल है कमजोर नहीं भारत की नारी छोटी कन्या का हम लोग कन्या पूजन करते हैं देवी के रूप में उस पूज्यते है पहले गुरु महात्माओं से लेकर आज भी हम में कन्या पूजन का विशेष महत्व है बहन के रूप में बीमारी को महत्वपूर्ण माना जाता है उनका आदर किया जाता है कमजोर परिस्थितियों में नारी ही अपने परिवार को संभालती है वह देखने में इतनी कोमल होती है पर आने पर चट्टान की तरह अपने परिवार को संभालते हैं अपने बच्चों को पालती पूछती है अच्छे संस्कार देती है हर मुश्किल से बचाती है पत्नी के रूप में अपने पति को दुख में साथ देती है उनकी हर अच्छी बुरी चीज का ध्यान देती है जरूरत को पूरा करती है अपना सब कुछ लुटा देती है जब पति बाहर रहता है घर का कार्य भी करती है तो पति की याद में करती रहती है कि अभी वहां घर आते होंगे इस तरह अपने जीवन के कई वर्ष मिटा देती है वर्ष लुटा देने के बाद एक समय ऐसा आता है कि नारी पर प्रश्न उठता है कि तुमने हमारे लिए किया क्या है यह सब नारी की आत्मा को वह सोचती है कि मेरा कोई महत्व नहीं है वाइफ के रूप में नारी घर का सारा कार्य करती है पति भी जब दफ्तर जाता है हरी जरूरत को पूरा करती है पति घर से दफ्तर जाता है तो उसे घर पर क्या हो चिंता नहीं होती क्योंकि उसे पता है
पत्नी घर अच्छे से संभाल रही है वह बिना टेंशन के ऑफिस जाता है बच्चों को भी तैयार करके स्कूल भेजना स्कूल से आने पर उनका खाने पीने की चीजों से लेकर पढ़ाई लिखाई का सारा कार्य एक हाउसवाइफ इस देती है वह अपना सब कुछ परिवार पर लुटा देती है पर पति बाहर पैसा कमाता है वहां अपने कार को ही सर्वोपरि मानता है पत्नी के कार की निंदा करता है हद तो जब हो जाती है कि कोई जॉब करने वाली महिला की तारीफ अपने पत्नी से करता है और उसे यह महसूस कराता है कि तुम कुछ नहीं हो चलो अब तो जमाना बदल गया है यह तो पहले की बात है अब तो हर मां-बाप अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर जॉब आ रहा है उन्होंने देखा है कि उनकी मां के साथ कैसा अपमान हुआ था वाली महिलाएं चाहे वह हाउसवाइफ हो या जॉब करने वाली हो नारी को व संस्कार दिए जाते हैं‖

Sunday, 13 January 2019

किताबें पढ़ने का महत्व

 किताबें पढ़ने का महत्व

भाइयों मैं आज आपको स्वाध्याय से जुड़े हुए कुछ बातें बताना चाहती हूं आजकल नई पीढ़ी ने तो किताबें पढ़ना जैसे छोड़ ही दिया है बच्चे मोबाइल में लगे रहते हैं 
मोबाइल में कुछ भी देखना हुआ तो देख लिया पढ़ने की आवश्यकता ही नहीं हुई जो हम किताबों में पढ़ते हैं उसे कभी भूलते नहीं हैं
प्रतिदिन कुछ ना कुछ पढ़ते रहने वाले अपने ज्ञान कोष इकट्ठा करके उसे अक्षय बना लिया करते हैं
क्या भाव में कोई भी व्यक्ति महान और ज्ञानवान नहीं बन सकता प्रतिदिन नियम पूर्वक अच्छी किताबें पढ़ते रहने से बुद्धि तेज होती है विवेक बढ़ता है और हमारी आत्मा शुद्ध होती है 
स्वाध्यायशील व्यक्ति का जीवन अपेक्षाकृत अधिक पवित्र हो जाता है साथ ही पढ़ने में रुचि होना से ऐसे व्यक्ति अपना समय पढ़ने में लगाता है वह व्यर्थ अपना समय बर्बाद नहीं करता है 
 वह कमरे में बैठा हुआ भी एकांत किताबें पढ़ता रहता है या किसी लाइब्रेरी में जाकर पड़ता है उसके पास फालतू समय नहीं होता इधर-उधर की बातें करने के लिए पढ़ने वाले बच्चों के पास बेकार के निठल्ले व्यक्ति नहीं आते, भी जाते हैं तो उनका वहां मन नहीं लगेगा और वह कुछ समय बाद चले जाएंगे 
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी➤ ने अपनी पुस्तकों में इतनी ज्ञान की बातें लिखी हैं कि कोई भी जनरेशन हो पढ़ ले तो उसका जीवन सार्थक हो जाए 

भाइयों मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है अपनी योग्यता बढ़ाकर शक्ति संपन्न होना ही सबसे बड़ा धर्म है अच्छी पुस्तक एक महानआत्मा का जीवन रथ है 

संसार में ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो कभी स्कूल नहीं गए पर लगातार अच्छी किताबें पढ़ते रहने से वह विद्वान व्यक्ति बनी हमेशा पढ़ते रहने वाले व्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण कर लेते हैं 
लोकमान्य तिलक ➤ने कहा है मैं भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा लोकमान्य तिलक का ऑपरेशन होना था इसके लिए उन्हें क्लोरोफॉर्म सुंघा कर बेहोश करना था क्लोरोफॉर्म के लिए मना कर दिया और कहा मुझे एक गीता की पुस्तक ला दो में उसे पढ़ता रहूंगा और आप ऑपरेशन कर लेना पुस्तक लाई गई लोकमान तिलक उसे पढ़ने में इतने लीन हो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका ऑपरेशन कब हुआ भाइयों ऐसे थे हमारे लोकमान्य तिलक
Milton➤ कहां है अच्छी पुस्तक एक महान आत्मा का जीवन रक्त है क्योंकि व्यक्त मर जाते हैं लेकिन ग्रंथों में उनकी आत्मा का निवास होता है ग्रंथ सजीव होते हैं
Sisro ➤ने कहा है ग्रंथ रहित कमरा आत्मा रहित  देह के समान है