Sunday 20 January 2019

व्यवहार में परिवर्तन

व्यवहार में परिवर्तन

जीवन में आगे बढ़ते हुए हमें सदा अपने रिश्तेदारों पास पड़ोस घर परिवार में उनके दोष ना ढूंढे हमें सदा अपने अंदर ही दोष देखने चाहिए हम दूसरों को दोष दिखा दी अापने आप को कष्ट देते हैं प्रेमी हमेशा दिल में बैठता है और दुश्मन हमेशा मस्तिष्क सर पर बैठता है दूसरों के दोष निकालने से हमारा घाटा ही होता है 

अगर हम अपने स्वभाव में दूसरों के गुण गिनाने की आदत डालें तो बदले में हमें वही मिलेगा जो व्यक्ति दूसरों के दोष निकालने में लगा देता है अपनी जवानी के दिनों में समाज में किसी से भी लड़ने लगता है वही आदत उसकी परिवार मैं भी पड़ी रहती है वह अपनी पत्नी को लात घुसा मारता रहता है फिर वह बच्चे हो जाते हैं तो बच्चों पर भी लात घुसा बरसाता रहता है 


फिर जब बूढ़ा हो जाता है तो अपने आप से लड़ता रहता है दीवाल में अपना सिर फोड़ता है मैं अपने परिवार व समाज से दूर हो जाता है अंत में आत्महत्या ही करता है अच्छे विचार वाला मनुष्य चारों और अच्छे विचार ही फैलाता है बुरा मनुष्य बुराई का कीचड़ ही उछलता है संसार में ईश्वर ने मनुष्य को कोई ना कोई कमीदी है 

संसार में कोई पुण्य नहीं है कोई मानव अपूर्णता मैं भी खुश रहता है दूसरों का सहयोग करता है सदा अच्छे विचार रखता है और वही मानसिक रूप से ग्रस्त मानव यह समझता है कि दुनिया के सारे दुख भगवान ने उसी को दे दिए ईश्वर को गाली देता है दुखी रहता है सारे दोष दूसरों पर थो पता है अपने माता पिता को दोषी मानता है अगर हमें पढ़ाया होता तो मैं आज अधिकारी होता पत्नी को दोष देता अगर मेरा सहयोग किया होता तो मैं आज अधिकारी होता इस प्रकार है जीवन जीवन भर दूसरों पर दोष देता रहता कोई व्यक्ति जरा सा कष्ट आने पर डगमगा जाता है 

वहीं दूसरी और उसी के बराबर कष्ट वाला व्यक्ति जिंदगी सामान्य रूप से जीता है बड़े से बड़ा कष्ट पर भी किसी के सामने का नहीं रोता है सबके सामने मुस्कुराता रहता है हमें यह समझना चाहिए कि माता पिता ने हमें जन्म दिया पाला पोसा माता-पिता अपने बच्चों का आहेत कभी नहीं चाहते हमें जो कुछ भी मिला ईश्वर की इच्छा से मिला हमें उसमें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए अकेली ईट से है दीवार नहीं खड़ी होती सीमेंट बालू भी चाहिए अगर हम अपने भीतर स्वयं को झांक कर देखें तू सारी दुनिया सुंदर दिखाई देगी अपनी भूल को मान लेने से हमारा कोई घाटा नहीं है अपना मन साफ हो जाता है और हम भविष्य में अपने आप को और जागरूक बना लेते हैं
हीन मनोवृति वाले परिवार के बच्चे भी वैसे ही हो जाते हैं बचपन से वहां हिंसक वातावरण में पले बच्चे या तो दब्बू डरपोक या हिंसक हो जाते है

 बच्चों का मन बहुत कोमल होता है हमारे द्वारा किए गए बुरा व्यवहार उनके कोमल मन को बहुत प्रभावित करता है बच्चों के साथ किया गया गुस्सैल व्यवहार सुधार ता नहीं बल्कि उन्हें और बिगाड़ देता है हमें अपने बच्चों के साथ विनम्र व्यवहार करना चाहिए उनके साथ एक मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए हमारे बच्चे अपनी बात हमसे कर पाएंगे नहीं तो दूरियां बहुत बढ़ जाएंगी कभी भी आप उसे भर नहीं पाओगे बच्चे जब छोटे होते हैं तुम अब आप सोचते हैं डांट पीट कर हर बात समझा लेंगे जब बच्चा बड़ा हो जाता है यह बात उसके दिमाग में घर कर जाती है फिर वहां कभी भूल नहीं पाता है और मां-बाप के प्रति उसकी दूरियां बढ़ जाती है इसलिए हर मां-बाप को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने बच्चों के साथ विनमृता का व्यवहार करें

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