किताबें पढ़ने का महत्व
भाइयों मैं आज आपको स्वाध्याय से जुड़े हुए कुछ बातें बताना चाहती हूं आजकल नई पीढ़ी ने तो किताबें पढ़ना जैसे छोड़ ही दिया है बच्चे मोबाइल में लगे रहते हैं
मोबाइल में कुछ भी देखना हुआ तो देख लिया पढ़ने की आवश्यकता ही नहीं हुई जो हम किताबों में पढ़ते हैं उसे कभी भूलते नहीं हैं
प्रतिदिन कुछ ना कुछ पढ़ते रहने वाले अपने ज्ञान कोष इकट्ठा करके उसे अक्षय बना लिया करते हैं
क्या आभाव में कोई भी व्यक्ति महान और ज्ञानवान नहीं बन सकता प्रतिदिन नियम पूर्वक अच्छी किताबें पढ़ते रहने से बुद्धि तेज होती है विवेक बढ़ता है और हमारी आत्मा शुद्ध होती है
स्वाध्यायशील व्यक्ति का जीवन अपेक्षाकृत अधिक पवित्र हो जाता है साथ ही पढ़ने में रुचि होना से ऐसे व्यक्ति अपना समय पढ़ने में लगाता है वह व्यर्थ अपना समय बर्बाद नहीं करता है
स्वाध्यायशील व्यक्ति का जीवन अपेक्षाकृत अधिक पवित्र हो जाता है साथ ही पढ़ने में रुचि होना से ऐसे व्यक्ति अपना समय पढ़ने में लगाता है वह व्यर्थ अपना समय बर्बाद नहीं करता है
वह कमरे में बैठा हुआ भी एकांत किताबें पढ़ता रहता है या किसी लाइब्रेरी में जाकर पड़ता है उसके पास फालतू समय नहीं होता इधर-उधर की बातें करने के लिए पढ़ने वाले बच्चों के पास बेकार के निठल्ले व्यक्ति नहीं आते,आ भी जाते हैं तो उनका वहां मन नहीं लगेगा और वह कुछ समय बाद चले जाएंगे
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी➤ ने अपनी पुस्तकों में इतनी ज्ञान की बातें लिखी हैं कि कोई भी जनरेशन हो पढ़ ले तो उसका जीवन सार्थक हो जाए
भाइयों मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है अपनी योग्यता बढ़ाकर शक्ति संपन्न होना ही सबसे बड़ा धर्म है अच्छी पुस्तक एक महानआत्मा का जीवन रथ है
संसार में ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो कभी स्कूल नहीं गए पर लगातार अच्छी किताबें पढ़ते रहने से वह विद्वान व्यक्ति बनी हमेशा पढ़ते रहने वाले व्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण कर लेते हैं
लोकमान्य तिलक ➤ने कहा है मैं भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा लोकमान्य तिलक का ऑपरेशन होना था इसके लिए उन्हें क्लोरोफॉर्म सुंघा कर बेहोश करना था क्लोरोफॉर्म के लिए मना कर दिया और कहा मुझे एक गीता की पुस्तक ला दो में उसे पढ़ता रहूंगा और आप ऑपरेशन कर लेना पुस्तक लाई गई लोकमान तिलक उसे पढ़ने में इतने लीन हो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका ऑपरेशन कब हुआ भाइयों ऐसे थे हमारे लोकमान्य तिलक
Milton➤ कहां
है अच्छी पुस्तक एक महान आत्मा का जीवन रक्त है क्योंकि व्यक्त मर जाते हैं लेकिन ग्रंथों में उनकी आत्मा का निवास होता है ग्रंथ सजीव होते हैं
Sisro ➤ने कहा है ग्रंथ रहित कमरा आत्मा रहित देह के समान है
Sisro ➤ने कहा है ग्रंथ रहित कमरा आत्मा रहित देह के समान है
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