Sunday 20 January 2019

दो लडकियां

दो लडकियां

दो बच्चियां होती है एक गरीब घर की थी संस्कारों परिवार के बीच पली दयावान कोमल एकांक बुद्धि 6 वर्ष की कन्या थी दूसरी अमीर घर की कोमल अपने माता पिता के बीच पली हुई कन्या थी 

वह भी 6 वर्ष की थी कोमल प्यारी सी दोनों बच्चियों में बहुत दोस्ती थी स्कूल जाते ही दोनों साथ साथ बैठती साथ खाते पीती थी साथ पढ़ती साथ खेलकूद करना एक दूसरे के बिना कभी नहीं रह पाती थी 

1 दिन की बात है वहां अमीर घर की लड़की रोज स्कूल में डांट खाती थी स्कूल का होमवर्क का भी करके नहीं लाती थी हमेशा उदासी रहने लगी वह लड़की एक दिन गरीब घर की लड़की ने अपनी दोस्त से पूछा क्या बात है तुम होमवर्क क्यों नहीं करती हो क्यों डांट खाती हो तू अमीर घर की लड़की ने कहा मेरे मम्मी पापा मुझे काफी नहीं दिलाते हैं 


मैं कैसे होमवर्क करूं मैं रोज काफी मांगती हूं फिर भी नहीं दिलाते तो उस गरीब घर की कोमल लड़की बोली तुम्हारे पास किस बात की कमी है जो तुम्हारे माता-पिता काफी नहीं चलाते हैं फिर वहां गरीब घर की लड़की चुप रह गई फिर दूसरे दिन बाद गरीब घर की लड़की एक नई काफी अपने घर से लाई और विद्यालय में अपनी दोस्त को दे दी और बोलिए अब तुम्हें कभी डांट नहीं खानी पड़ेगी इस तरह वह दोनों साथ पढ़ती है 

कहने का तात्पर्य है संस्कार और दया का भाव जन्म से ही होता है इसकी अमीरी गरीबी से कोई लेना देना नहीं है संस्कार से गरीब आदमी की महान बन जाता है कई गरीबी की आड़ लेकर भीख मांगते रहते हैं दूसरों के सामने रोना रोते रहते हैं कि मेरे पास कुछ नहीं है

 हमेशा कर्म करते रहना चाहिए ईश्वर ने तुम्हारे लिए सोच रखा है कर्म करना तुम्हारा कार्य है देना ईश्वर का जो स्वाभिमानी संस्कारी दयावान बचपन से होते हैं वह बड़े होकर  कोई महान कार्य करते हैं उन्हें ईश्वर ने किसी महान उद्देश के चुना होता है उन्हें अपनी गरिमा पहचान कर अपना उद्देश पूरा करना चाहिए इस देश में खा पीकर मौज बनाने वालों की कोई कमी नहीं आलसी लोगों की उम्र कम होती है सदाचारी कर्तव्य निष्ठ संस्कारी स्वाभिमानी जागरूक होते हैं वह लंबी उम्र तक जीते हैं और समाज में अपनी खुशबू फैलाते हैं

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