Tuesday, 15 January 2019

नारी खुद को पहचाने

नारी खुद को पहचाने
नारी कोमल है कमजोर नहीं भारत की नारी छोटी कन्या का हम लोग कन्या पूजन करते हैं देवी के रूप में उस पूज्यते है पहले गुरु महात्माओं से लेकर आज भी हम में कन्या पूजन का विशेष महत्व है माँ बहन के रूप में नारी को महत्वपूर्ण माना जाता है उनका आदर किया जाता है कमजोर परिस्थितियों में नारी ही अपने परिवार को संभालती है वह देखने में इतनी कोमल होती है पर समस्या आने पर चट्टान की तरह अपने परिवार को संभालती हैं अपने बच्चों को पालती है अच्छे संस्कार देती है हर मुश्किल से बचाती है पत्नी के रूप में अपने पति को दुख में साथ देती है उनकी हर अच्छी बुरी चीज का ध्यान देती है जरूरत को पूरा करती है अपना सब कुछ लुटा देती है जब पति बाहर रहता है घर का कार्य भी करती है तो पति की याद में करती रहती है कि अभी वहां घर आते होंगे इस तरह अपने जीवन के कई वर्ष मिटा देती है कई वर्ष लुटा देने के बाद एक समय ऐसा आता है कि नारी पर प्रश्न उठता है
कि तुमने हमारे लिए किया क्या है यह सब नारी की आत्मा को तोड़ देती है वह सोचती है कि मेरा कोई महत्व नहीं है वाइफ के रूप में नारी घर का सारा कार्य करती है पति भी जब दफ्तर जाता है हरी जरूरत को पूरा करती है पति घर से दफ्तर जाता है तो उसे घर पर क्या हो चिंता नहीं होती क्योंकि उसे पता है पत्नी घर अच्छे से संभाल रही है वह बिना टेंशन के ऑफिस जाता है बच्चों को भी तैयार करके स्कूल भेजना स्कूल से आने पर उनका खाने पीने की चीजों से लेकर पढ़ाई लिखाई का सारा कार्य एक हाउसवाइफ इस देती है वह अपना सब कुछ परिवार पर लुटा देती है पर पति बाहर पैसा कमाता है वहां अपने कार को ही सर्वोपरि मानता है पत्नी के कार की निंदा करता है हद तो जब हो जाती है कि कोई करने वाली महिला तारीफ अपने पत्नी से करता है और उसे यह महसूस कराता है कि तुम कुछ नहीं हो चलो अब तो जमाना बदल गया है
यह तो पहले की बात है अब तो हर मां-बाप अपनी यू को पढ़ा लिखा कर जॉब आ रहा है उन्होंने देखा है कि उनकी मां के साथ कैसा अपमान हुआ था वाली महिलाएं चाहे वह हाउसवाइफ हो या जॉब करने वाली हो नारी को व संस्कार दिए जाते हैं नारी कोमल है कमजोर नहीं भारत की नारी छोटी कन्या का हम लोग कन्या पूजन करते हैं देवी के रूप में उस पूज्यते है पहले गुरु महात्माओं से लेकर आज भी हम में कन्या पूजन का विशेष महत्व है बहन के रूप में बीमारी को महत्वपूर्ण माना जाता है उनका आदर किया जाता है कमजोर परिस्थितियों में नारी ही अपने परिवार को संभालती है वह देखने में इतनी कोमल होती है पर आने पर चट्टान की तरह अपने परिवार को संभालते हैं अपने बच्चों को पालती पूछती है अच्छे संस्कार देती है हर मुश्किल से बचाती है पत्नी के रूप में अपने पति को दुख में साथ देती है उनकी हर अच्छी बुरी चीज का ध्यान देती है जरूरत को पूरा करती है अपना सब कुछ लुटा देती है जब पति बाहर रहता है घर का कार्य भी करती है तो पति की याद में करती रहती है कि अभी वहां घर आते होंगे इस तरह अपने जीवन के कई वर्ष मिटा देती है वर्ष लुटा देने के बाद एक समय ऐसा आता है कि नारी पर प्रश्न उठता है कि तुमने हमारे लिए किया क्या है यह सब नारी की आत्मा को वह सोचती है कि मेरा कोई महत्व नहीं है वाइफ के रूप में नारी घर का सारा कार्य करती है पति भी जब दफ्तर जाता है हरी जरूरत को पूरा करती है पति घर से दफ्तर जाता है तो उसे घर पर क्या हो चिंता नहीं होती क्योंकि उसे पता है
पत्नी घर अच्छे से संभाल रही है वह बिना टेंशन के ऑफिस जाता है बच्चों को भी तैयार करके स्कूल भेजना स्कूल से आने पर उनका खाने पीने की चीजों से लेकर पढ़ाई लिखाई का सारा कार्य एक हाउसवाइफ इस देती है वह अपना सब कुछ परिवार पर लुटा देती है पर पति बाहर पैसा कमाता है वहां अपने कार को ही सर्वोपरि मानता है पत्नी के कार की निंदा करता है हद तो जब हो जाती है कि कोई जॉब करने वाली महिला की तारीफ अपने पत्नी से करता है और उसे यह महसूस कराता है कि तुम कुछ नहीं हो चलो अब तो जमाना बदल गया है यह तो पहले की बात है अब तो हर मां-बाप अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर जॉब आ रहा है उन्होंने देखा है कि उनकी मां के साथ कैसा अपमान हुआ था वाली महिलाएं चाहे वह हाउसवाइफ हो या जॉब करने वाली हो नारी को व संस्कार दिए जाते हैं‖

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