बच्चो मे डर
पूरी दुनिया में लड़के लड़कियां बहुत कुछ करना चाहते हैं पर उन्हें कौन सी चीज रोकती है सबसे बड़ा कारण है डर बचपन से ही हमारे दिल दिमाग में डर बसा होता है अगर हम 10 क्लास में पढ़ाई नहीं करेंगे तो फेल हो जाएंगे यह सोचकर बच्चे सारा दिन किताबे लिए बैठे रहते हैं पर दिमाग की एक रिपोर्ट होती है 4000 शब्द प्रति मिनट 400 मिनट पर सेकंड फिर भी माता-पिता अध्यापक के डर से बच्चे सारा दिन किताब लेकर पढ़ते रहते हैं आगे चलकर यह डर इतना हावी हो जाता है कि बच्चा दब्बू डरपोक हो जाता है समय निकल जाता है और जॉब के लिए परेशान होता है
यही डर आगे चलकर उसके रास्ते का सबसे बड़ा कारण बनता है जॉब के लिए जिस रास्ते में पर डालता है डर पीछे खींच लेता है हमारे अवचेतन मन में वह डर बैठ जाता है तो आप चाहे जितना सीख ले चाहे जितना जान ले चाहे जो करले किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ेगा बचपन में हम पर पढ़े डर का प्रभाव किस तरह हमारी भविष्य पर प्रभाव डालते हैं आपने देखा होगा एक ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का एक सारा दिन खेलता है एक सारा दिन पढ़ाई करता है पर खेलने वाले के नंबर ज्यादा आते हैं और सारा दिन किताब लेकर बैठने वाले के नंबर काम आते हैं सवाल केवल हमारे दिमाग की लिमिट का है खेलने वाले का दिमाग शार्प होता है वह जो कुछ भी पड़ता है
उसके दिमाग में रिकॉर्ड हो जाता है और मैं भूलता नहीं है और सारा दिन किताब लेकर बैठने वाली का दिमाग पहले ही डर फालतू बातों से भरा हुआ है ता उसका दिमाग कैसे काम करेगा कहने का तात्पर्य है की अभी तो स्कूली पढ़ाई के बात है अगर ऐसे ही चलता रहा तो आगे चलकर जॉब के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि दिमाग में फालतू भरा पड़ा है ता जॉब लगना मुश्किल है अपने दिमाग को फ्रेश रखिए जितनी उसकी लिमिट है उतना उसे भरिए फिर थोड़ा मनोरंजन करिए फिर पढ़ाई पढ़िए इस हिसाब से पढ़ेंगे तो आप निश्चित ही सफल होंगे
पूरी दुनिया में लड़के लड़कियां बहुत कुछ करना चाहते हैं पर उन्हें कौन सी चीज रोकती है सबसे बड़ा कारण है डर बचपन से ही हमारे दिल दिमाग में डर बसा होता है अगर हम 10 क्लास में पढ़ाई नहीं करेंगे तो फेल हो जाएंगे यह सोचकर बच्चे सारा दिन किताबे लिए बैठे रहते हैं पर दिमाग की एक रिपोर्ट होती है 4000 शब्द प्रति मिनट 400 मिनट पर सेकंड फिर भी माता-पिता अध्यापक के डर से बच्चे सारा दिन किताब लेकर पढ़ते रहते हैं आगे चलकर यह डर इतना हावी हो जाता है कि बच्चा दब्बू डरपोक हो जाता है समय निकल जाता है और जॉब के लिए परेशान होता है
यही डर आगे चलकर उसके रास्ते का सबसे बड़ा कारण बनता है जॉब के लिए जिस रास्ते में पर डालता है डर पीछे खींच लेता है हमारे अवचेतन मन में वह डर बैठ जाता है तो आप चाहे जितना सीख ले चाहे जितना जान ले चाहे जो करले किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ेगा बचपन में हम पर पढ़े डर का प्रभाव किस तरह हमारी भविष्य पर प्रभाव डालते हैं आपने देखा होगा एक ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का एक सारा दिन खेलता है एक सारा दिन पढ़ाई करता है पर खेलने वाले के नंबर ज्यादा आते हैं और सारा दिन किताब लेकर बैठने वाले के नंबर काम आते हैं सवाल केवल हमारे दिमाग की लिमिट का है खेलने वाले का दिमाग शार्प होता है वह जो कुछ भी पड़ता है
उसके दिमाग में रिकॉर्ड हो जाता है और मैं भूलता नहीं है और सारा दिन किताब लेकर बैठने वाली का दिमाग पहले ही डर फालतू बातों से भरा हुआ है ता उसका दिमाग कैसे काम करेगा कहने का तात्पर्य है की अभी तो स्कूली पढ़ाई के बात है अगर ऐसे ही चलता रहा तो आगे चलकर जॉब के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि दिमाग में फालतू भरा पड़ा है ता जॉब लगना मुश्किल है अपने दिमाग को फ्रेश रखिए जितनी उसकी लिमिट है उतना उसे भरिए फिर थोड़ा मनोरंजन करिए फिर पढ़ाई पढ़िए इस हिसाब से पढ़ेंगे तो आप निश्चित ही सफल होंगे
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