कर्मों का फल
मेरे घर के सामने एक बूढ़े बाबा रहते थे उन्होंने कभी विवाह नहीं किया था इसलिए उनका परिवार आगे ना बढ़ सका वह अकेले ही अपना जीवन यापन करते थे
उनकी एक छोटी सी पान की दुकान थी उनका खर्चा उसी से चलता था मेरे पिताजी बहुत व्यवहारी और दयावान व्यक्ति है बाबाजी का अकेलापन उनसे देखा नहीं जाता था इसलिए बाबा जी के पास जाकर बैठ जाते उनका मनोरंजन करते थे उस जमाने में सभी कुएं से पानी भरा करते थे हमारे घर में भी कुएं से पानी भरा जाता था हम अपने घर का पानी भरते थे
फिर पिता जी के कहने पर बाबाजी का भी कुएं से पानी भरा करते थे मेरे पिता जी बाबा जी की बहुत सेवा किया करते थे जब आप बीमार हो जाए तब हमारे घर से बाबा जी के के लिए खाना जाता था मेरे पिताजी बाबा जी के पैर दबाते थे उन्हें दवा दिलाने उनकी सेवा करना यह सब मेरे पिताजी ही किया करते थे हमारे घर के आस-पास के लोग बाबा जी को देखते भी नहीं थे उस समय मेरे पिताजी के ऊपर परिवार का बहुत भार था मेरे पिताजी के पिताजी का देहांत होने के बाद पूरा भार मेरे पिताजी के ऊपर आ गया दो छोटे भाई तो छोटी बहनों का विवाह उनको पढ़ाना लिखाना मेरे पिताजी की जिम्मेदारी थी
वह जिम्मेदारी मेरे पिताजी ने निभाई भी अपने दोनों भाइयों का जॉब लगवाई दोनों बहनों का विवाह करवाया फिर उनके बच्चों का जन्मदिन संस्कार बहुत धूमधाम से किया करते थे जब उनके भाइयों अपना परिवार हो गया तब उन्होंने मेरे पिताजी से अलग होने की बात कही उस समय मेरे पिताजी ने अपनी जीवन की सारी पूंजी उन्हीं में लगा दी थी मेरे पिताजी ने कर्जा लेकर अपनी बहनों का विवाह किया था उस जमाने में 32000 का कर्जा था जो मेरे चाचा जी ने देने से मना कर दिया
यहां तक कि घर से भी निकाल दिया हम सब सड़क पर आ गए एक किराए के घर में हमारा गुजारा चलता था फिर भी मेरे पिताजी अपने स्वभाव में परिवर्तन ना ला सके और बाबा जी की निस्वार्थ सेवा किया करते थे 1 दिन बाबा जी की तबीयत खराब हुई और उन्होंने मुझे बुलाया और मेरी झोली में ₹32000 डाल दिए और कहा अपने पिताजी को दे देना वह झोली भर कर मैं अपने घर आई और पिताजी को दिखाया तो उस झोली में ₹32000 निकले जैसे मेरे पिताजी ने अपना कर्जा पटाया कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे द्वारा किए अच्छे कर्म ईश्वर की नजर में होते हैं
वह यहां सब देख रहे होते हैं हमें सदा अच्छे कर्म करना चाहिए फल देना ईश्वर का कार्य है जो निस्वार्थ भाव से सेवा परोपकार करता है ईश्वर भी रक्षा करते हैं हमें सदा यह समझना चाहिए हमारे अच्छे बुरे दोनों कर्म परमेश्वर देख रहा है वह दोनों कर्मों का फल देगा अच्छे कर्मों का और बुरे कर्मों का हम अगर एक अच्छा कर्म करते हैं और 10 गुना फल देता है इसलिए हमें सदा अपने कर्म अच्छे रखना चाहिए
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