Sunday 20 January 2019

कर्मों का फल

कर्मों का फल

मेरे घर के सामने एक बूढ़े बाबा रहते थे उन्होंने कभी विवाह नहीं किया था इसलिए उनका परिवार आगे ना बढ़ सका वह अकेले ही अपना जीवन यापन करते थे 

उनकी एक छोटी सी पान की दुकान थी उनका खर्चा उसी से चलता था मेरे पिताजी बहुत व्यवहारी और दयावान व्यक्ति है बाबाजी का अकेलापन उनसे देखा नहीं जाता था इसलिए बाबा जी के पास जाकर बैठ जाते उनका मनोरंजन करते थे उस जमाने में सभी कुएं से पानी भरा करते थे हमारे घर में भी कुएं से पानी भरा जाता था हम अपने घर का पानी भरते थे

 फिर पिता जी के कहने पर बाबाजी का भी कुएं से पानी भरा करते थे मेरे पिता जी बाबा जी की बहुत सेवा किया करते थे जब आप बीमार हो जाए तब हमारे घर से बाबा जी के के लिए खाना जाता था मेरे पिताजी बाबा जी के पैर दबाते थे उन्हें दवा दिलाने उनकी सेवा करना यह सब मेरे पिताजी ही किया करते थे हमारे घर के आस-पास के लोग बाबा जी को देखते भी नहीं थे उस समय मेरे पिताजी के ऊपर परिवार का बहुत भार था मेरे पिताजी के पिताजी का देहांत होने के बाद पूरा भार मेरे पिताजी के ऊपर आ गया दो छोटे भाई तो छोटी बहनों का विवाह उनको पढ़ाना लिखाना मेरे पिताजी की जिम्मेदारी थी

 वह जिम्मेदारी मेरे पिताजी ने निभाई भी अपने दोनों भाइयों का जॉब लगवाई दोनों बहनों का विवाह करवाया फिर उनके बच्चों का जन्मदिन संस्कार बहुत धूमधाम से किया करते थे जब उनके भाइयों अपना परिवार हो गया तब उन्होंने मेरे पिताजी से अलग होने की बात कही उस समय मेरे पिताजी ने अपनी जीवन की सारी पूंजी उन्हीं में लगा दी थी मेरे पिताजी ने कर्जा लेकर अपनी बहनों का विवाह किया था उस जमाने में 32000 का कर्जा था जो मेरे चाचा जी ने देने से मना कर दिया

 यहां तक कि घर से भी निकाल दिया हम सब सड़क पर आ गए एक किराए के घर में हमारा गुजारा चलता था फिर भी मेरे पिताजी अपने स्वभाव में परिवर्तन ना ला सके और बाबा जी की निस्वार्थ सेवा किया करते थे 1 दिन बाबा जी की तबीयत खराब हुई और उन्होंने मुझे बुलाया और मेरी झोली में ₹32000 डाल दिए और कहा अपने पिताजी को दे देना वह झोली भर कर मैं अपने घर आई और पिताजी को दिखाया तो उस झोली में ₹32000 निकले जैसे मेरे पिताजी ने अपना कर्जा पटाया कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे द्वारा किए अच्छे कर्म ईश्वर की नजर में होते हैं 

वह यहां सब देख रहे होते हैं हमें सदा अच्छे कर्म करना चाहिए फल देना ईश्वर का कार्य है जो निस्वार्थ भाव से सेवा परोपकार करता है ईश्वर भी रक्षा करते हैं हमें सदा यह समझना चाहिए हमारे अच्छे बुरे दोनों कर्म परमेश्वर देख रहा है वह दोनों कर्मों का फल देगा अच्छे कर्मों का और बुरे कर्मों का हम अगर एक अच्छा कर्म करते हैं और 10 गुना फल देता है इसलिए हमें सदा अपने कर्म अच्छे रखना चाहिए

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