Sunday 20 January 2019

अपने ही बच्चों के दुश्मन

                       अपने ही बच्चों के दुश्मन

बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्रेम करते हैं उसे कोई कार्य नहीं करवाते हैं जो मांगते हैं तुरंत देते हैं  खाने पीने की चीजों से लेकर घूमने फिरने तक हर चीज की आजादी देते हैं बच्चों के हाथ में बिना मांगे पैसा बढ़ा देते हैं 

कभी पूछते नहीं है कि तुमने कहां खर्च किए हैं इतना फ्रैंक बना देते हैं कि दूसरों का सम्मान करना भूल जाते हैं माता-पिता अपने बच्चों  के दुश्मन की होते हैं वह  ऐसा करके अपने बच्चों की पैर पर कुल्हाड़ी ही मारते हैं कहने का तात्पर्य है कि वह अपने बच्चों को बिगाड़ देते हैं अपने बच्चों को बदतमीज ही बनाते हैं

 बड़े होकर यह बच्चे सब का आदर करना भूल जाते हैं और माता-पिता की जिंदगी भर की कमाई पूंजी पर ऐश करते हैं और उसे बर्बाद कर देते हैं एक शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म आई थी औलाद के दुश्मन उसमें शत्रुघन सिन्हा किस तरह प्रेम करके अपने बच्चों का भविष्य बिगाड़ देता है चाहे वह लड़की हो या लड़का हो इतना प्रेम मत करो कि वह बिगड़ जाए जो माता-पिता अपनी लड़कियों को बहुत प्रेम करते हैं

 उन्हें कोई घर का कार्य नहीं करने देते हैं घूमने फिरने में आजादी देते हैं लड़कों की तरह उनसे व्यवहार करते हैं वह यह भूल जाते हैं कि वह अपनी बेटी को जिंदगी भर अपने पास नहीं रख सकते राजा जनक को भी अपनी बेटियों को विदा करना पड़ा था उन्हें एक दिन अपनी बेटी को विदा करना ही पड़ेगा इस तरह की लड़कियां घर काम नहीं किया वह

स्वयं की मां की तबीयत खराब होने पर कार्य नहीं करेंगी तो वह दूसरों की मा का  क्या ध्यान रखेंगी जो माता-पिता अपने बच्चों को इतनी छूटदे देते हैं कि उनसे पूछते तक नहीं है कि वह कहां जा रहे हैं बच्चे आजाद हो जाते हैं क्लब में घूमना पार्टी में जाना रात रात भर नशे में पड़े रहना यह सब उनके लिए आम बात हो जाती है आजकल सभ्य समाज में यह सब देखना आम बात हो गई है हम सब भूल गए हैं की संस्कारों में प्ले बच्चे ही महान बनते हैं

 उन्हें संस्कार देकर ही पा
लो नहीं तो उन्हें राक्षस बनने में समय नहीं लगेगा उन्हें इतना भी प्रेम मत करो की वे बिगड़ जाएं समय रहते अगर हमने अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दिया तो वह अपना जीवन बर्बाद कर लेंगे आप ही को दोष देंगे इसलिए आप अपने बच्चों को संस्कार से ही पाले संस्कार में पले बच्चे ही अपने माता पिता का नाम रोशन करते हैं समाज को उज्जवल बनाते हैं और संस्कारों से बनी लड़किया अपने घर को स्वर्ग बनाती हैं और समाज में उनके बच्चे अपना एक अलग ही स्थान बनाते हैं संस्कारों से निमित्त बच्चे समाज पूरे राष्ट्र में अपना वर्चस्व फैलाते हैं

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